रेवती रमन- अधूरे इश्क की पूरी कहानी - 1 RISHABH PANDEY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रेवती रमन- अधूरे इश्क की पूरी कहानी - 1

"सुनिए..!!! मुझे आपके नोट्स मिल जाएंगे क्या?" - रेवती (बहुत हिचकिचाते हुए )

"नोट्स किसके?" - रमन (थोड़ा आश्चर्य के साथ)

"एम० एस० सी० के"- रेवती


"अरे मेरा मतलब किस पेपर के" - रमन (हल्की मुस्कराहट के साथ)


"सारे पेपर्स"- रेवती


"अच्छा मैडम सारे पेपर्स के नोट्स.....ये इलाहाबाद है मैडम सॉरी प्रयागराज यहां लड़का आपके लिए जान दे सकता है लेकिन नोट्स नही, फिर भी आप मांग ही ली है तो जरा बताइए बदले में हमे क्या मिलेगा" - रमन (चंचल मुस्कराहट के साथ)


"जो आप कहिए?"- रेवती


"अजी दोस्त बना लीजिए" -रमन (छेड़ने के अंदाज में कहा)


रेवती झेप गयी और वहां से बिना कुछ बोले निकल गयी।


"अजी सुनिए तो , हम तो मजाक कर रहे थे। कल पंकज फ़ोटो कॉपीज पर मिलिए 11 बजे सुबह नोट्स मिल जाएंगे। हम आपके जैसे सुंदर सुंदर लोगो को निराश नही करते।"- रमन (हाथ जोड़कर छेड़ने के अंदाज में कहा)



"तुम साले सिंगल ही मरोगे। ऐसे बात करते है किसी लड़की से बेचारी हिम्मत कर के नोट्स मांगी औऱ तुम लगे आशिकी झाड़ने" - शुक्ला (रमन का दोस्त)


"यार शुक्ले तुम तो जानते हो हमारी नजर बी०एस०सी० फस्ट ईयर से रेवती को ही निहारती है। लेकिन कभी हिम्मत नही हुई कहने को। और तो और इनसे दोस्ती के लिए ही इतनी पढाई कर के नोट्स बनाये है बाकी तो तुम हमे शुक्ल टाइम से जानते हो। पढाई हमें कुछ पल्ले पड़ती नही। तो आज इतना फिसल ही गए तो क्या बुरा किया" - रमन


"क्या लगता है कल वो आएगी मुझे तो नही लगता?" - शुक्ला


"पंडित जी ये इलाहाबाद है यहां प्रेमिका प्रेमी हीरो के गुलाब लेने आये न आये नोट्स के लिए विलेन से भी मिलने आ जाती है। कल देखिएगा वो जरूर आएंगी।" -रमन


"हा हा साले तेरे सपनो में, पता है न वो इलाहाबाद की नही कानपुर की है और कानपुर के चर्चे कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक है। बस नाम ले लो कानपुर से हो लोग जान जाते है कि तुम प्रमाणित मुरहे हो।" - शुक्ला


"साले तुम हमारे दोस्त हो के दुश्मन? डिमोटिवेट करते हो बे हरदम" - रमन


"आ आहा दुश्मन अभी एक फैट खींच के मारेंगे तो सारा इश्क का खुमार उतर आएगा।" - शुक्ला



"अच्छा ठीक है भगवान करे वो आ जाये। जाना लेकिन ज्यादा लबर लबर न करना वो लगती नही उस टाइप की पहले दोस्ती कर लो फिर जो मन आये कर लेना" - शुक्ला


"ठीक है बे तुम कह रहे हो तो मुँह हम बन्द ही रखेंगे। अब खुश?" - रमन



"और हा नम्बर दे देना या नोट्स में ही लिख देना और बोल देना कुछ दिक्कत हो तो तुम्हे फोन कर ले, और चाय कॉफी कुछ पूछ लेना कंजूस महाराज। इश्क और व्यापार में पाइसा लगता है। बुझाइल के नही(समझ आया की नही )??"- शुक्ला



" ठीक है बे ज्यादा बाप नही बनो पता है बहुत बड़े इश्क बाज हो तुम, जब भी लात खाये हो हमारा ही कपार चाटे हो। आज बड़े लव गुरु की चोटी बन रहे हो।" - रमन


"ठीक है मरो साले" - शुक्ला


(अगले दिन सुबह 10 बजे ही रमन रेवती के इन्तेजार में पंकज फ़ोटो कॉपीज पहुँच जाता है। आज समय कटने का नाम ही नही ले रहा था। रमन घड़ी देखता और इधर उधर नजर घुमाता।)



(क्या रेवती आएगी?, क्या रेवती और रमन की कहानी बनेगी एक प्रेम कहानी जानिए अगले अंक में....)